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चुनावो के समय नेता लोगो के घर जाकर उनके पैर छूकर दिखाते है और मिलकर दिखाते है की वे जनता के कितने हितेषी है .
चुनावी पत्र में कई सपने पिरोकर जनता को सपने दिखाते है जैसे अब उन्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं अगर में नेता बन गया तो आपकी हर समस्या का समाधान कर दूंगा
लोगो को पीने का पानी ,रोज़गार ,बिजली , सड़क , सभी सुबिधा उपलब्ध करा दूंगा. मेरी जीत आपकी जीत होगी . जीतने के बाद वे जनता को आखें दिखाने लगते है . यदि कोई परेशानी में हो तो कहते है समस्या उत्पन्न खुद करे और परेशान करने हमें चले आते हो . यदि तुम्हे अपना काम कराना है तो खुछ पैसे खर्च करने होंगे
बताओ गरीब आदमी से जब यह वोट मांगने आते है तब गरीब की समस्या अपनी समस्या बताने में गुरेज नहीं करते. jam धरना प्रदर्शन करना आम बात होती है
ऐसे नेताओ को सबक सिखाने के लिए चुनाव आयोग को उन नेताओ से शपथ पत्र लेना चाहिए जो बाते वे चुनाव के समय कर रहे है दो वर्ष के अन्दर उन्हे पूरा करेंगे नहीं तो उनका मंत्री पद उनसे छीन लिया जायेगा और वोटिंग द्वारा फिर से नेता का चुनाव होगा ऐसा अगर होता है तो देश में भ्रष्टाचार में कमी आएगी और नेता अच्छे से अच्छा कम करेंगे नहीं तो दो साल बाद बाद वे पद विहीन हो जायेंगे . चुनाव आयोग को दो वर्ष बाद चुनाव कराने चाहिए यदि देश को आगे पहुचना है
चुनाव आयोग की राय है की जल्दी चुनाव होने पर देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है मगर वह यह नहीं सोचता नेता रूपी दीमक उसी अर्थव्यवस्था को खाए जा रहा है
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